) कालकुमरि-(प्रफुल्लित स्वर में) हे ईश्वर! मुझे क्षमा करना।
4.
जाने से? हे ईश्वर! मैं किससे अपना दुख कहूँ? तू ही मेरा
5.
चूँकि मैं किसी ईश्वर में विश्वास नहीं करता, इसलिए कह सकता हूँ-हे ईश्वर! मेरी इच्छा शक्ति को क्या हो गया।
6.
' मैंने प्रार्थना की है कि हे ईश्वर! मैंने आज जो-जो भी सामान चाहा है, वह सारा मुझे दे देना!” ज्योति ने एक बार फिर से आँखें मूँदकर हाथ जोड़े।
7.
ये सारी चीजें भयंकर रूप से डराती थीं, और मैं भगवान से प्रार्थना करता था-मनौतियाँ करता था कि हे ईश्वर! जुलाई के महीने को लेकर फिर मत आना।
8.
ये सारी चीजें भयंकर रूप से डराती थीं, और मैं भगवान से प्रार्थना करता था-मनौतियाँ करता था कि हे ईश्वर! जुलाई के महीने को लेकर फिर मत आना।
9.
उसकी आंखों के कोनों से आंसू बहने लगते हैं वह मन ही मन में सोचती है, हे ईश्वर! ये कैसा मिलन?इस मोड़ पर आकर आज इस व्यक्ति से मेरी भेंट होनी थी, कैसी तेरी लीला है प्रभु?
10.
भाइयों, मैं आपके सामने उस भजन की कुछ पंक्तियां प्रस्तुत करूंगा, जिसको मैं अपने बचपन से दोहराता आया हूं और जिसे करोड़ों लोग प्रतिदिन दोहराते हैं-'जैसे विभिन्न स्रोतों से उद्भूत विभिन्न धाराएंअपना जल सागर में विलीन कर देती हैं,वैसे ही हे ईश्वर!